बुधवार, 12 अप्रैल 2017

कितना कुछ

तारोंभरा आसमान निहारते हुए
कितना कुछ याद आता है।
परिक्षा के बाद गर्मी की छुट्टियों में
रात छत पर सफेद चादरों वाले बिस्तर पर
बैठ कर बतियाना,
परिक्षा खत्म होने की खुशी और साथ साथ
नतीजे की प्रतीक्षा और तनाव
वह  एकदूसरे को ढाढस बंधाना,
हाथों को हाथ में लेकर।
अचानक एक सिहरन, एक बिजली सी महसूस होना
मेरा हाथ छुडाकर नीचे भाग जाना
क्या यही प्यार था,
आज इतने सालों बाद यह याद कर के
हंसी भी आती है और एक बेचैनी भी होती है दिल में
क्या वह प्यार  था  अगर था तो थोडी सी हिम्मत दिखाने से परवान चढता?


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