बुधवार, 3 सितंबर 2014

चलते चलो रे 2- रेडवुड फॉरेस्ट







हमारी उडान दोपहर साढेचार बजे की थी। कुसुमताई और अरुणराव हमें छोडने आये एयरपोर्टा।  उडान लेट हो गई तो हम एक घंटा देरी से पहुंचे सेन फ्रान्सिसको। मकरंद हमे घर लिवा ले गया। अलका (मकरंद की पत्नी) तो भारत से कल आनेवाली थी पर वहिनी आई हुई (भाभी) थीं तो खाना वाना तैयार मिला। दूसरे दिन शाम को अलका भी आ गई बच्चों के साथ। मकरंद के दो बच्चे हैं अंशुल बडा है १५ वर्ष का और अनुभा छोटी है १२ वर्ष की। दोनो अपने ममेरे भाई की जनेऊ में जा कर आये थे तो काफी खुश थे दादी को और बाबा को सब कुछ बताने की बडी जल्दी थी उनको। दो दिन के आराम के बाद हमने रेडवुड फॉरेस्ट देखने की सोची। यह अमेरिका के वेस्ट कोस्ट की खासीयत है और सिर्फ यहीं केलिफोर्निया में पाये जाते हैं। मकरंद के घर में एक नीबू का और एक संतरे का पेड हे उसमें खूब संतरे और नीबू लगे हुए थे। संतरे बडे मीठे थे।
तो पांच जुलै को जल्दी से तैयार हो कर सुबह नौ बजे हम लोग निकले बिग बेसिन रेडवुड फॉरेस्ट के लिये।  हम दोनो मकरंद अर्चना भाभी और अनुभा। सैनहोजे से यह जगह कोई 35 मील दूर है। पहुंचने में करीब सवा घंटा लगा क्यूं कि  आखरी के आठ मील रास्ता चढाई का और घुमावदार है बिलकुल सर्पिल। खूब सारे अंधेमोड भी। दोनों तरफ रेडवुड (SEQUOIA) ऊँचे वृक्ष।  इनकी छाल कटने पर अंदर से लाल दिखाई देती है इसीसे रेडवुड पर समय के साथ कत्थई पड जाती है। हम जब उस जगह पहुँचे तब वहाँ ऑफिस में  टूर के समय के बारे में पता किया। एक टूर 11 बजे शुरु होने वाली थी जो एक खास लूप में घुमाती थी इसमें बहुत पुराने (2000 वर्ष) वृक्ष भी थे। इनको मदर और फादर ऑफ द फॉरेस्ट कहते हैं। वैसे सबसे ज्यादा आयु वाले वृक्ष का रेकॉर्ड 3000 वर्षों का है।
बताइये हमारी  कितनी पीढियां तब तक गुजर गई होंगी। (विडियो ) Clip14444o83Part357to1320

हमारे पास थोडा वक्त था तो हमने वहां के म्यूजियम का एक चक्कर लगाया और वहां के पेडों की पशु पक्षियों की थोडी जानकारी ली।
ग्यारा बजने में पांच मिनिट कम पर हमारी गाइड, इनका नाम था एलिस लू, आ गईं। बहुत ही स्मार्ट और चुस्त दुरुस्त ये गाइड अपने हाव भावों से जंगल का पूरा ब्योरा ऐसे देती जैसे सारी घटनायें उनके सामने घटीं हों। जाते ही उसने पूछा, छोटी पर महत्वपूर्ण पेडों वाली ट्रेल लेनी है या बडी और ट्रेकिंग वाली। (विडियो )
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जाहिर है कि हम लोग जो पहले ही अपनी ट्रेल चुन चुके ते उसके मन मुताबिक ही उत्तर देते, जो दिया। तो चलिये कह कर वह आगे आगे और हम सब उसके पीछे पीछे। चीनी नस्ल के हिसाब से काफी लंबी थी लडकी। उसने बताया कि ये रेडवुड यानि SEQUOIA वृक्ष दुनिया के सबसे ऊँचे वृक्ष हैं और सिर्फ केलिफोर्निया के समुद्र किनारे ही पाये जाते हैं। सबसे ऊँचे वृक्ष का रेकॉर्ड 387.4 फीट का है,  जब कि इनकी सामान्य ऊँचाई 350 से 370 फीट की मानी जाती है। (photo)


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इन्हें ऊपर तक देखने मे टोपी तो क्या सिर भी गिरने की नौबत आ जाती है, दूखने जो लगता हैं। इन पेडों के तने का घेर  काफी मोटा होता है करीब 25 से 30 फीट (photo)


पर इतने बडे और ऊँचे वृक्ष की जडें जमीन के अंदर केवल पांच या छह फीट ही नीचे तक जाती हैं पर ये जडें आपस में दूसरे पेडों के जडों से गुंथी होती हैं और यही होता है इनके मजबूती से खडे रह पाने का कारण। इन सदा बहार पेडों का आकार क्रिसमस ट्री की तरह ही कोनिकल होता है । इसकी पत्तियां नीचे से चौडी और ऊपर से पतली होती हैं। इतने बडे और ऊंचे वृक्ष के कोन, जिनमें बीज होते हैं, बहुत ही छोटे होते हैं केवल एक डेढ इंच के जिनमें कुल 7-8 बीज होते हैं। बीजों से पेड बनने के मौके केवल 15 प्रतिशत हैं। 

ये अनोखे पेड अपनी जीजीविषा के लिये प्रसिध्द हैं। इन्हें कीडा नही लगता। और आग भी इनका ज्यादा कुछ बिगाड नही पाती। कितने ही पे़ड हमने देखे जो कहीं कहीं से आग से काले तो हो गये थे लेकिन फिर भी ऊपर से हरे भरे और जीवित थे।  बाढ के बाद भी ये अपने को फिर से स्थापित कर लेते हैं। हैं। इन पेडों के तने का घेर  काफी मोटा होता है करीब 25 से 30 फीट पर इतने बडे और ऊँचे वृक्ष की जडें जमीन के अंदर केवल पांच या छह फीट ही नीचे तक जाती हैं पर ये जडें आपस में दूसरे पेडों के जडों से गुंथी होती हैं।

अपनी प्रजाती को बचाने का एक अनोखा तरीका यह कि इन पेडों में बाहर से ट्यूमर की तरह दिखने वाले उभरे हुए गोले से लगे होते हैं ( Lignotuber)। संकट के समय चाहे वह तूफान हो आग हो या बाढ ये ट्यूमर फूट जाते हैं और इनमें से छोटे छोटे पेड (seedlings)  निकल कर दूर तक फैल जाते हैं और वहां नये पेड के रूप में स्थापित हो जाते हैं, इस तर अपनी प्रजाति को सुरक्षित रखते हैं photo )


कई बार तूफान में पेडों का शीर्ष तना टूट जाता है या वे इको टूटने देते हैं ताकि बाकी पेड बच जाये और फिर से नये पत्ते नई शाखायें उगा लेते हैं। हमारी गाइड ने इसका वर्णन साभिनय कर के बताया। उसने कहा जैसे ही जोर का तूफान आया इस जंगल के मदर यानि अम्मा पेड ने कहा ठीक है ठीक है तूफान, तुम कुछ तो लेकर ही जाओगे, तो मेरा सिर ले जाओ और कैसे वह अपने पैर जमा कर खडी रही और अपने को उखडने से बचाया। यहां पर कहावत उलटनी होगी- कहना होगा कि पैर सलामत तो शाखायें पचास।
एक और खास बात इन पेडों की ये कि ये हमेशा एक गोल आकार में उगते हैं।  ये इसलिये कि जब इनके बीजों वाले ट्यूमर फूटते हैं तो मुख्य वृक्ष के चारों और फैल जाते हैं और वहीं उगते हैं। इस घेरे में करीब 30-35 पेड एक साथ होते हैं। आप जान ही गये होंगे कि इनकी जडें आपस में गुथीं होती हैं । (photo)


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और एक तरीका अपनी प्रजाति को बचाने का ये कि यह कहीं से भी उगना शुरु हो जाते हैं । कटे तने से, गिरे हुए पेड के तने से नई पत्तियाँ फूट कर नया पेड चालू हो जाता है। ऐसे ही नही मिलती हजारों वर्षों की जिंदगी।

एक दो विशेष पेड हमारी लू मैडम ने दिखाये जिनमें एक में तो तने के दोनो तरफ सीधी लाइन मे छेद थे तो आर पार देखा जै सकता था।  (photo)



और एक पूरा का पूरा पेड खोखला और ऊपर से कटा ।  नीचे से एक दरवाजेनुमा जगह भी थी  जिसमें से ऊपर देखो तो आसमान नज़र आता था।
इस पार्क में कोई 130 कि.मी. की ट्रेल्स हैं। बहुत से जल प्रपात भी हैं पर हमारी ट्रेल छोटी थी। इस जंगल में हिरण, रेकून, जंगली बिल्ली, आदि प्राणी तथा ब्लू जे का चचेरा भाई स्टेलर जे, एकॉर्न वु़डपेकर इग्रेटस् तथा मार्बल मरलेट्स नामक दुर्लभ और एनडेंजर्ड पक्षी भी पाये जाते हैं।
मारबल्ड मरलेटस ये छोटे आकृति के समुद्री पक्षी होते हैं जो  उत्तरी प्रशांत महासागर में पाये जाते हैं और ये कैलिफोरनिया के किनारे के पुराने जंगलों में खास तौर पर रेडवुड के जंगलो में प्रजनन के लिये आते हैं। अपना घरौंदा बनाने के बजाय ये समुद्रीपक्षी करीब 50 मील अंदर जमीन पर आकर  अपना इकलौता  अंडा जंगल के छतरी नुमा पुराने हिस्से में देते हैं। पर अब जंगल कटाई के कारण पुराने हिस्से कम होते जा रहे हैं और ये पक्षी भी। मौसम का बदलाव और खनिज तेल का समुद्र में गिरना भी इनकी संख्या में कमी आने का एक कारण है तथा मछुआरों की बढते कार्य कलाप भी। जैसे ही अंडे से बच्चा बाहर निकलता है माता या पिता समंदर से करीब 30 मील सफर कर के उनके लिये मछली लाते हैं। हमें हमारे गाइड ने इस पक्षी का एक चित्र भी दिया (फोटो)। 



इस रेडवुड के जंगल में रेड वुड तो बहुतायात में हैं ही पर इसके अलावा कोस्टल डगलास फिर जो कि रेडवुड की तरह ही पर थोडे कम ऊंचे वृक्ष होते हैं करीब 300 फीट, टनओक  बिग लीफ मेपल भी यहां पाये जाते हैं । ये तो हुई ऊँचे वृक्षों की बात पर हकल बेरी ,ब्लेक बेरी ,सामन बेरी आदी झाडियां भी खूब होती हैं। रोडोडेन्ड्रॉ और अझेलिया जैसे फूलों की झाडियां भी। हमारे इस सफर में हमारे गाइड ने हमें बहुत से पुराने वृक्ष तथा नीचे  गिरे हुए तने भी दिखाये।  रेडवुड की लकडी मारती लकडी कहलाती है तथा सका फर्नीचर भी बहुत अच्छा माना जाता है ।
हमारी गाइड ने फिर वापिस उसी ट्रेल से लाकर हमें हमारे शुरुआती स्थान पर पहुंचा दिया। इस टूर से बहुत सी जानकारी तो मिली ही पर एक और फायदा तो ये हुआ कि इन पेडों से जान-पहचान अच्छे से हो गई। अर्चना भाभी और मै कैलिफोर्निया में जहां भी घूमने जाते जाते रेडवुड के पेड तुरंत पहचान लेते। सात तारीख को हमें जाना था हमारे योसोमिटी, लास-वेगास तथा ग्रेंड केनियन टूर पर । तो दो दिन बीच में थे तो हम सैन होजे के मंदिर घूम आये,  सांई मंदिर, जैन मंदिर, स्वामी नारायण मंदिर और शिव मंदिर।


(क्रमशः)

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