शनिवार, 17 नवंबर 2007

यात्रा ए हवाई ३

यात्रा ए हवाई अब तक
हवाई जाने का प्लान बनते ही हम खुश हो गये । हम दोनो बॉस्टन से और सुहास और विजय वॉशिंगटन से Los Angeles (एल ए ) पहुंचे । वहीं से हमे होनोलूलू (हवाइ की राजधानी) के लिये उडान लेनी थी । Los Angeles (एल ए ) में विजय के भाई तथा भाभी के साथ हॉलीवुडमे यूनिवर्सल स्टुडिओ देखा जहां फिल्मों की शूटिंग की जाती है । हवाइयन द्वीप समूह में वैसे तो छोटे बडे कोई १०७ द्वीप हैं पर केवल ६ ही बसे हुए है । हम कवाई में ही पूरा हप्ता रहने वाले थे । तो दूसरे दिन सुबह ९ बजे हमने एयर ट्रान की उडान ली और पहुंच गये होनोलूलू । वहाँ से फिर आलोहा एयर से आधे घंटे में कवाइ पहुंच गये । वहाँ पहुंच कर हमने एक सुबरू कार किराये पर ली । कवाई के खूबसूरती का आनंद उठाते हुए हम कार से हनलाई बे रिसॉर्ट की और चल पडे जहां हमे एक हफ्ते के लिये टाइम शेयर का अपार्टमेन्ट मिला था । (सुहास के बेटे अजय को सौजन्य से ) रास्ते में तरह तरह के पेड पौधे देखते हुए हम हनसाइ बे रिसॉर्ट पहुंचे । बेहद खूबसूरत परिसर और अपार्टमेन्ट। उस दिन तो खास कुछ किया नही पर दूसरे दिन हनलाइ बे बीच पर गये । और खूब मजे किये । उसके बाद गये लाइट हाउस और पक्षी अभयोद्यान । बहाँ पर फोटोग्राफी की ।अब आगे....


तीसरे दिन करने को कुछ खास नही था सुहास और विजय टाइम शेयर वालों का लेक्चर सुनने चले गये जिसमें हमे कोई दिलचस्पी नही थी, पर उस लेक्चर को सुनने से हमे डिसकाउन्टेड टूर टिकिटस् मिलने वाले थे। तो हम दोनों ने किताबें उठाईं और उनके आने तक पढते रहे । आते हुए वे हवाइयन लंच लेकर आये । मेरे लिये पीटा सेंडविच था अवोकेडो सॉस के साथ बाकी लोगों ने चिकन पाडा़ । दोपहर में हम फार्मर्स मारकेट देखने गये । ये हमारे यहाँ के हाट की तरह होता है । खुली जगह पर रेडियाँ लेकर लोग फल और सब्जियाँ बेच रहे थे हवाई में काफी सारे अलग तरह के फल मिलते हैं । (
यहां क्लीक करीये और देखे व्हीडिओ of Fruit market
एक होता है पॅशन फ्रूट जो ऊपर से दिखने में बडा ही सुंदर होता है स्वाद भी ठीक ही होता है पर ऊपर का सुंदर भाग केवल छिलका होता है और खाया जाने वाला भाग कुछ पक्षियों की बीट की तरह दिखता है । हम तो एक बार खाकर ही भर पाये ।
पर वहाँ के आम और अननास बडे ही मीठे होते हैं इतने कि एक तरह के अननास तो कहलाते ही शुगर पाइन एपल हैं । एक और फल होता है बेतरतीब सा कटहल की तरह खुरदरे छिलके वाला पर हम तो उसे खरीदने की हिम्मत नही जुटा पाये । खाते तो शायद अच्छा लगता पर पॅशन फ्रूट को लेकर थोडी निराशा जो हुई थी । वापसी पर फिर थोडी देर समंदर के किनारे बैठे । यहां क्लीक करीये और देखे व्हीडिओ Hanalai bay
बुधवार को हमें देखनी थी हिंदु मोनेस्ट्री । चौंक गये ना! हाँ भई हाँ कवाई में हिंदु मंदिर । मोनेस्ट्री इसलिये कि यहाँ बाकायदा हिंदु धर्म की शिक्षा दी जाती है । और कोई २५० विद्यार्थी आजकल यहाँ दीक्षित हो रहे हैं । तो हमें तो यह मोनेस्ट्री जरूर ही देखनी थी । सुबह ८ बजे निकल पडे मंदिर के लिये । इस मोनेस्ट्री की स्थापना एक तामिल गुरू श्री शिव सुब्रम्हण्यम स्वामी ने की थी । यह शिवजी का मंदिर भी दक्षिण भारतीय पध्दती का ही है और पूजा की विधी भी । किस्मत ने हमें आरती के वक्त ही वहाँ पहुंचाया, मन तो बस प्रसन्न होगया ।
यहां क्लीक करीये और देखे कवाई में हिंदु मंदिर । मोनेस्ट्री का व्हीडिओ
और यहाँ के पुजारी और गुरू ज्यादातर गोरे, अमेरिकन । कुछ दक्षिण भारतीय भी हैं । मंदिर और उसका परिसर अत्यंत रमणीय । शिवलिंग स्फटिक का बना हुआ है परंतु उसका फोटो नही लेने देते । यह मंदिर शिवजी के नटराज रूप को समर्पित है । उनकी विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियाँ शायद पीतल की बनी हुईं या सोने का पानी चढीं हो सकती हैं यहाँ देखी जा सकती हैं।
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हमें बताया गया कि विभिन्न योगासन नटराज जी की मुद्राओं पर ही आधारित हैं । मंदिर का परिसर घुमाया हमे वहीं की एक शिष्या ने । मंदिर के द्वार पर ही थी गणेश जी की एक सुंदर प्रतिमा । वहाँ का परिसर तो कमाल का था । मंदिर जाने के रास्ते के दोनो तरफ सुदर सुंदर फूलों वाले पौधे लगे हुए थे औ बीच मे लाल पत्थरों से बना एक रास्ता । मंदिर के बाहर एक तालाब था और उसमें एक नटराज की मूर्ती । एक बहुत बडा पेड था जिसकी लंबी लंबी पत्तियाँ थीं पर उसमें से बरगद की तरह जडें सी निकल रहीं थी जो जमीन में जाकर खंभों वाला मंडप सा बना रहीं थीं । और पीछे की तरफ अलग अलग तरह के पेड़ पौधे और सबसे पीछे एक बडा सा लेक ।
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न चाहते हुए भी हमें वहाँ से विदा लेनी पडी क्यूं कि आगे हमे जाना था वायमिया केनियॉन्स । केनियॉन्स प्राकृतिक रूप से बनी खाईयाँ होती हैं जो हजारों साल पानी के पठारों पर प्रचंड गती के साथ बहने से बनती है, जमीन का जो भाग इस पानी के बहाव को सह जाता है वह चोटियों के रूप में दिखता है । ये एक अद्भुत दृश्य की सृष्टी करते हैं । जहाँ ये पाये जाते हैं वहाँ बारिश नही के बराबर होती है और यह इलाका उजाड़ सा लगता है । अमेरिका के पश्चिमी भाग में अरिझोना के ग्रॅंड केनियॉनस् हैं जो इस तरह के सबसे बडे प्राकृतिक बनाव हैं।
उपरोक्त संदर्भ मे--व्हीडिओ देखे
व्हीडिओ1
व्हीडिओ2

कवाई के इन केनियॉनस् को ग्रॅंड केनियॉनस् ऑफ पेसिफिक कहा जाता है । ये इनके विभिन्न रंगों के कारण बहुत ही सुंदर दिखते हैं । इनमें तीन रंग स्पष्ट रूप से दिखते हैं, नारंगी, हरा और काला । नारंगी और काला मिट्टी और पत्थर की वजह से तथा हरा वनस्पती से । मजे़ की बात यह है कि यह कवाई का ही एक हिस्सा है जहाँ १०-१० मिनट मे बारिश होती है । और जरा सा तो है कवाई । पूर्व का हिस्सा हराभरा और नमी वाला बीच में अलक्काई स्वाम्प और एकदम उत्तर पश्चिम में ये ग्रॅंड केनियॉनस् ऑफ पेसिफिक। तो हम रास्ता ढूँढते हुए वायमिया केनियॉन्स के बोर्ड तक पहुँचे वहाँ से आगे थोडी चढाई पडती थी । उस लंबे घुमावदार रस्ते से होकर हम एक बिलकुल समतल जगह पर पहुँच गये ।
वहाँ पहुँचने तक सब को भूक सता रही थी क्यू कि मंदिर जाना था तो नाश्ता तो किया नही था । वहाँ से आगे सीढीयाँ थीं और थोडी चढाई भी । सीढीयों के पास ही कुछ लोग खाने पीने का सामान बेच रहे थे । शकरीले (sugared) अननास, आम तथा कुछ तिल की बर्फी नुमा मिठाई जो हमारे लिये तो अमृत थी ।
खाने का सामान और पानी लेकर सीढीयाँ चढकर हम एक और समतल जगह पर आ गये । वहाँ रेलिंग लगी हुई थी और सामने था केनियॉनस् का भव्य दृश्य ।
उपरोक्त संदर्भ मे-चित्र- देखे
चित्र1
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ये केनियॉनस् हजारों सालों में वाइलेले नामक पहाड से निकली हुई वायमिया नदी के पानी के कारण बनी हैं । १० मील लंबी तथा १ मील चौडीं इन केनियॉनस् की गहराई कोई ३५०० फीट है । हम तो ऐसा कुछ पहली बार देख रहे थे, जो अपने आप में एक अनुभव था । पहाडों पर जो आडी रेखाएँ सी दिखती हैं वे ज्वालामुखी से समय समय पर निकलने वाले लावा के कारण बनती हैं । पर आजकल कवाई में कोई जीवंत ज्वालामुखी नही है ये सिर्फ मावी और बिग आयलेंड में ही देखें जा सकते हैं कितनी देर तक खडे होकर हम इन केनियॉनस् को देखते रहे खूब सारी तसवीरें और विडीओ लिये ।
जाना ही था इसलिये वहाँ से निकले, जितनी दूर तक देख सकते थे मुड मुड कर देखते रहे । कवाई का यह भाग इतना सूखा था कि पेड जले से लग रहे थे । पर जेसे ही हम चढाई से नीचे उतर कर आये एक फलों से लदा आम का पेड देखा । रास्ते में एक दुकान से सेंडविच खरीदे और एक बीच पर जाकर लंच किया । इस बीच का नाम था सॉल्ट पॉन्ड बीच । यहाँ किनारे के पास कोरल्स की एक दीवार सी बन गई है और उसकी वजह से एक खारे पानी का तालाब सा बन गया है इसीलिये नाम है सॉल्टपॉन्ड बीच। शाम के बाद फिर वापसी । (क्रमश:)सॉल्ट पॉन्ड बीच व्हीडिओ देखे
...धन्यवाद...

6 टिप्‍पणियां:

पारुल "पुखराज" ने कहा…

post bahut achhi lagii...bilkul alag sii..aabhaar

Pankaj Oudhia ने कहा…

दिल से पढ रहा हूँ। हवाई के वनस्पति वैज्ञानिको के साथ मैने कुछ शोध-पत्र प्रकाशित किये है। वहाँ के छात्र भी लगातार मेल भेजते रहते है। कभी जाना नही हुआ पर अब इस पोस्ट के माध्यम से सब आँखो से देख पा रहा हूँ। धन्यवाद और आभार।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बढ़िया विवरण!!शुक्रिया!!

प्रशांत ने कहा…

यात्रा-ए-हवाई पढते समय ऐसा लगा की मैं ख़ुद सफ़र कर रहा हूँ | आप लॉस् एन्जेलिस् कब आये थे? मैं लॉस् एन्जेलिस् में ही रहता हूँ |

रंजू भाटिया ने कहा…

वाह !!आप तो साथ में घुमा देती है अपने :)..बहुत ही सुंदर लिखा है ..एक ही साँस में पढ़ा गया ..बहुत सारी रोचक जानकारी मिल रही है इस से ..चित्र भी सुद्नर है ..!!

Prof.Devendra P Gadekar ने कहा…

hi asha g very nice collection,i just love it,really u r a very good writter keep it up