शनिवार, 8 सितंबर 2007

सपने




मेरे सपनों के गुलाब
खिलते हैं हरे आसमां की नीली घास पर ।
सुबह के सूरज की लाली और गीले बादल
भरते हैं उनमें रंग और सुगंध ।
एक लंबे सफर पे चल पडी हूं मैं
और मेरे साथ हैं मेरे जैसे सपनों के दीवानें ।
मुझे इंतजार तो है पर कोई जलदी नही है
तुम अपने समय से ही आना
मैं खुश हूं अपने सपनों के साथ
यही तो हैं मेरे अपने मंजिल के आने तक।

कोई टिप्पणी नहीं: